Friday, December 11, 2009

meri ghazal

सोअचता हु एक नई सुरुआत करू
पर ये वक़्त के कन्त्ते दहरते क्यों नही !

मैं उस को अंत तक साथ न ले जा पौगा ये पता है
पर पल दो पल साथ देने को ये हाथ तदाप्ठे क्यों नही

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